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छत्तीसगढ़ की संस्कृति का आईना है मातर मड़ई, यादव समाज के उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं अन्य समाजों के लोग

ग्राम मड़मड़ा में तीन दिवसीय मातर का आयोजन

कवर्धा। छत्तीसगढ़ की संस्कृति का अपना एक अनोखा ही रंग है। छत्तीसगढ़ में छत्तीस प्रकार के समुदाय रहते है हर एक समुदाय का अपना एक संस्कृति होता है जिसमे यादवों समाज के लोगों को प्रिय है “मातर”

बोड़ला ब्लॉक अंतर्गत ग्राम मड़मड़ा में सावत यादव और उसके परिवार द्वारा तीन दिवसीय मातर का आयोजन किया गया है जिसमे ग्राम एवं क्षेत्र से सभी यादव बंधुओं का सहयोग मिल रहा है गांव में उत्सव का माहौल बना हुआ है

मातर में मातृ शक्ति की अराधना की जाती है। वेदों में कहा गया है ‘गावो विश्वस्य मातरः… अर्थात् गाय सम्पूर्ण विश्व की माता है। इस दिन राउत लोग विशेष वेशभूषा धारण कर नृत्य करते हैं। दोहा पाठ होता है। लाठियां भांज कर करतब दिखाए जाते हैं। मड़ई मेले का भी आयोजन होता है। कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ी रंग में रंगा उत्सवी माहौल ‘मातर’ के अवसर पर देखने को मिलता है। आइए जानते हैं इस तिहार यानी त्योहार से जुड़ी खास परंपराएं.

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मातृशक्ति की उपासना का त्योहार है ‘मातर’

‘मातर ‘ मातृ शक्ति की उपासना का पर्व है। मातर का अर्थ है मा+तर, अर्थात माता की शक्ति को जगाना, उसकी महत्ता को स्वीकारना और सम्मान देना।

खुड़हर देव की होती है स्थापना

मातर लोक उत्सव की शुरुआत ‘खुड़हर देव’ की स्थापना के साथ होती है जिन्हें नक्काशीदार लकड़ी से बनाया जाता है। मातर के मौके पर राउत ‘मड़ई’ लेकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते हैं यादव समाज का विश्वास है कि मड़ई में आदिशक्ति का वास होता है जो गांववासियों की तमाम दुख- तकलीफ़ों से रक्षा करती हैं।

राउत करते हैं नृत्य, पढ़ते हैं दोहे

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इस अवसर पर राउत बंधुओं का पहनावा देखने लायक होता है। रंगबिरंगे परिधानों में सजे राउत बंधू सिर पर साफा बांधते हैं। मोरपंख और कौड़ी से श्रृंगार करते हैं। गढ़वा बाजा की धुन पर कबीर -रहीम के दोहों को स्थानीय बोली में गाते हैं। जिससे उत्साहित करने वाल उत्सवी माहौल बनता है।

दिखाए जाते हैं लाठी के करतब 

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मातर का खास आकर्षण है लाठियों के करतब। राउत तेंदू और बांस की सजी हुई लाठी भांज कर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। जिसे ‘अंखरा विद्या’ कहा जाता है। इसके अलावा तलवारबाजी और आग से जुड़े करतब दिखाने की भी परंपरा है जिसमें युवा और उम्रदराज भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इस तरह अनोखे अंदाज़ में छत्तीसगढ़ का अनोखा मातर तिहार मनाया जाता है जिसमें यादव समाज के अलावा अन्य समाजों के लोग भी भाग लेते हैं और मड़ई मेलों का आनंद उठाते हैं।

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